Friday, 22 November 2013

DAIRY OF A DIVORCEE

शायद पहली बार तारीख लिख रही हूँ दिल से डायरी के इन पन्नो पर… क्योंकि अब फ़र्क ही नही पड़ता दिन, दिवस वार से….. वक़्त तो शायद ठहेर सा गया है.
एक अजीब सी उदासी ने घेर रखा है मुझे.. पुराने मेल देखने के बाद, तुम्हारे मेल्स पढ़े मैने जो शादी के पहले तुम मुझे भेजा करते थे. मैं घंटो उस पल का बेसब्री से इंतेज़ार करती थी कि कब तुम्हे फ़ुर्सत मिलेगी और कब मैं मेल पढ़ूंगी.. मैं कितनी खुश हुआ करती थी तुम्हारे लिखे चार पंक्तियों को पढ़ कर…न अजाने कितनी बार उनको पड़ती जैसे लगता था कि शायद याद कर लूँ …तुम्हारे स्वभाव के बारे मे बहुत कुछ समझ चुकी थी पर ना जाने क्यों सब कुछ जान कर भी अंजान्ं बनी रही…शायद ये हालात उन लोगो के होते हैं जिनपर ज़बरदस्ती शादियाँ तोप दी जाती हैं और "अरेंज्ड मॅरेज” का नाम दे दिया जाता है| मैं मन ही मन कितने ख्वाब सज़ा लेती थी इस रिश्ते को लेकर…तुम मुझे डाट कर फोन रखते थे तो लगता था की शायद तुम्हे अपनी ‘वाइफ ‘ मे यह बातें नही पसंद हे तो खुद से प्रॉमिस किया करती थी की बदल डालूंगी हर उन आदत को जो तुम्हे पसंद नही हैं| मिटा दूँगी सारी आदत को जो मेरी पहचान हुआ करती थी जिसके कारण लोग मुझे पसंद करते थे ..इतनी बातें होती. it’s still surpring की मे तुम्हारे cruel intentions को पहचान नही पाए….

पिछले सालों मे मैं कितनी बदल गयी हूँ … …when I look at myself in the mirror mujhe lagta he ki I am looking at a complete stranger ….skin is still visible but as if I have lost my soul……तुमने मुझसे सब कुछ छीन लिया हैं….. मेरी मासूमियत, बचपाना, मुस्कुराहट, शरारते सब कुछ…तुमने ना सिर्फ़ मेरी जिस्म बल्कि मेरी आत्मा को भी तार तार कर दिया…मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा दी..बहुत गुस्सा, नाराज़गी भरा था मेरे अंदर पर अब सिर्फ़ दुख और खामोशी के अलावा कुछ भी बचा नही....इसलिए अब शायद कोई अफ़सोस भी है तो इस बात का कि मेरा परिवार तुम्हारे मासूम चेहरे के पीछे चीपे शैतान को नही पहचान पाया.

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